Followers

Showing posts with label नवनीत पाण्डे. Show all posts
Showing posts with label नवनीत पाण्डे. Show all posts

पांच मुक्तक

आंसूओं को कलम की स्याही बना लिया
दिल को ही अपने कागज़ बना लिया
जो भी लिखती है कलम, पढता है सिर्फ़ मन
आईनों को भी हमने ठेंगा दिखा दिया
*****

आंखों में तुम्हारी शरारतें हमेशा
न समझ आनेवाली इबारतें हमेशा
कितनी बार चाहा होंठ खुलें, मैं सुनूं
जीत ही जाता मौन, शब्द हार जाते हमेशा
*****

कितनी मस्तियां तुम्हारी आंखों में
कितनी तितलियां तुम्हारी आंखों में
जो भी देखे, बस देखता रह जाए
इतनी ज़िंदगियां तुम्हारी आंखों में
******
प्रेम के मुकदमों की कहीं, सुनवाई नहीं होती
प्रेमियों से बडी रुस्वाई, जग हंसाई नहीं होती
ज़िंदगियां पूरी हो जाती है प्रेम पाने और गंवाने में
इन कचहरियों के फ़ैसलों की, भरपाई नहीं होती
*******

हर सुबह वह आता सूरज की तरह
हर शाम चला जाता सूरज की तरह
उजाले हर लेता अंधेरो की तरह
हम सूने ही रह जाते वीरान बसेरों की तरह
*******

  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS
Read Comments